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Climate-related insurance: क्या है और यह कैसे मदद करेगी?

Flood damage in Maharashtra

Image Source : MahaMoney

भारत सरकार ने जलवायु-संबद्ध बीमा योजना का प्रस्ताव की है। पिछले कुछ‌ वर्षों में हुए चरम मौसम की घटनाएँ के संदर्भ में जानिए इसके सिद्धांत, बीमा बनाम सीधी सरकारी सहायता, और क्या बीमा कंपनियाँ इस योजना का स्वागत करेंगीं।

जलवायु-संबद्ध बीमा योजना क्या है?

भारत सरकार यह विचार कर रही है कि एक राष्ट्रीय जलवायु-संबद्ध बीमा (climate-linked insurance) योजना शुरू की जाए। इस‌ कदम का मकसद है कि जब भी देश में कोई जलवायु-संबद्ध आपदा घट जाए, तो प्रभावित व्यक्तियों को सरकारी राहत कोष (Relief Fund) पर निर्भर न होना पड़े, क्यो‍कि उसमें उन्हें नौकरशाही देरी (bureaucratic delays) का सामना और पात्रता मानदंडों (eligibility criteria) को पूरा करना पड़ता है, जिसमें दुर्भाग्यपूर्ण‌ वर्षों लग सकते हैं। इसके बजाय, जलवायु से जुड़ी बीमा पॉलिसी ​​निकालकर प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल या त्वरित राहत मिल सकती है। इस तरह की योजनाएँ अन्य देशों में पहले से चल रही हैं।

प्रस्ताव का एक मुख्य अंग है कि parametric, trigger-based model अपनाया जाए। इसके तहत‌ यदि बारिश, तापमान या हवा की गति आदि किसी पूर्व निर्धारित सीमा को पार कर जाएँ, तो बीमाधारक को त्वरित एवं स्वचालित (automatic) भुगतान हो जाए। इसका लाभ यह है विस्तृत नुकसान मूल्यांकन (detailed damage assessment) में समय व्यर्थ न किया जाए। अगर यह योजना सच हो जाए, तो भारत पहला बड़ा देश‌ बन जाएगा जो इसे बड़े पैमाने पर लागू करे।

पिछले 10 वर्षों में भारत में चरम मौसम की घटनाएँ (extreme weather events)

वर्ष

घटना

प्रभाव

नुकसान (लगभग ₹)

2018केरल बाढ़व्यापक बाढ़, 483 मृत40,000 करोड़
2020केरल मोनसून बाढ़104 मृत, 40 घायल19,000 करोड़
2021महाराष्ट्र बाढ़लगभग 209 मृत4,000 करोड़
2022भारत हीट वेवअत्यधिक तापमान, फसलों पर प्रभाव, स्वास्थ्य संकट, 90 मृत, 42,000 बीमार‌हज़ारों करोड़ों का अनुमान 
2024चक्रवात Asnaगुजरात, राजस्थान इत्यादि प्रभावित राज्य; जलभराव एवं पैदावार हानि~250 करोड़

ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि भारत तेज़ी से बढ़ती जलवायु जोखिमों का सामना कर रहा है।

प्राचलिक‌ बीमा (Parametric Insurance) के फायदे

तत्काल भुगतान

नुकसान का अनुमान लगाने मे समय व्यर्थ नहीं होता; आपदा में जैसे ही जब पूर्व-निर्धारित जलवायु सीमाएँ पार हो जाती हैं, भुगतान स्वचालित रूप से चालू  हो जाते हैं (triggered automatically)।

पारदर्शिता (transparency)

पूर्व निर्धारित metric (जैसे 200 मिमी बारिश) तय होते हैं, विवाद कम होती है।

सरकारी बोझ कम

वित्तीय जोखिम सरकार के राहत कोष से बीमा कंपनियों पर स्थानांतरित हो जाता है। इससे करदाताओं पर बोझ कम हो जाता है।

उच्च प्रोत्साहन

बीमा प्रणाली (insurance system) में प्रतिस्पर्धा (competition) हो सकती है, नवाचार (innovation) को बढ़ावा मिल सकता है। जितने अधिक लोग बीमा खरीदेंगे, प्रीमियम उतना ही कम होगा।

जोखिम विभाजन

राज्य, समुदाय, और निजी क्षेत्र मिलकर जोखिम साझा कर सकते हैं।

कमियाँ और चुनौतियाँ

जोखिम असंतुलन‌

  • यदि ट्रिगर सीमा पार हो लेकिन असली नुकसान कम हो, बीमा कंपनी को नुकसान हो सकता है।
  • ट्रिगर न पार हो पर नुकसान बड़ा हो — बीमाधारकों को बहुत नुकसान हो सकता है।

Premium बोझ

गरीब किसानों या छोटे उद्यमियों के लिए premium का दायित्व भारी हो सकता है, यदि subsidy न हो।

निगरानी समस्या

सटीक मौसम data, station coverage और monitoring network की कमी हो सकती है।

राजनीतिक दबाव

बीमा कंपनियों पर राजनीतिक हस्तक्षेप या दायित्व बढ़ना संभव हो सकता है।

बीमा की अपर्याप्तता

आपदा के समय तत्काल राहत (खाद, भोजन, पुनर्वास) देना अनिवार्य होता है — बीमा पूरी तरह उसका विकल्प नहीं बन सकती।

क्या बीमा कंपनियां दिलचस्पी दिखाएंगी?

  • यदि यह योजना सफलतापूर्वक लागू हो, तो बीमा और पुनर्बीमा कंपनियों को व्यापक ग्राहक आधार मिल सकेगा।
  • परंतु, जोखिम model ठीक न हो या अधिलेख प्रबंधन (underwriting) कमजोर हो, तो यह बीमा कंपनियों के लिए अलाभकारी हो जाएगा।
  • कंपनियों को पुनर्बीमा (reinsurance) सहायता लेनी पड़ेगी ताकि बड़े घटना के जोखिम से बचा जा सके।
  • प्रौद्योगिकी, मौसम data, AI modelling आदि में निवेश करना पड़ेगा।
  • यदि सरकारsubsidy देती है या premium साझा करती है, तो बीमा कंपनियों का दायित्व कम हो सकता है।

इसका निष्कर्ष यह है कि बीमा कंपनियों के लिए अवसर है, लेकिन यह जोखिमों की समझ और system की सख्ती पर निर्भर करेगा।

निष्कर्ष

सरकारी प्रस्तावित जलवायु-संबद्ध बीमा योजना एक अभिनव विचार है, जो parametric model पर आधारित है और त्वरित राहत देने की कोशिश करती है। साथ ही यह राज्य और केंद्र पर वित्तीय दबाव कम कर सकती है। लेकिन इसके आकलन (assessment), जोखिम प्रबंधन और निष्पादन (execution) के लिए सशक्त‌ ढाँचे की आवश्यकता है। लोगों को ऐसे बीमा खरीदने के लिए प्रेरित करने में premium subsidy एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। फिर भी, प्रत्यक्ष राहत देने की तुलना में बीमा अनुवृत्ति की लागत बहुत कम हो सकती है।

बीमा कंपनियों को यदि सही तरीके से नियोजित किया जाए, तो यह उन्हें नया बाज़ार और राजस्व स्रोत दे सकती है।

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