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Swadeshi 4G and Atmanirbhar Bharat: एक तकनीकी क्रांति

mobile tower with equipment stack

Image Source : https://pixabay.com/photos/mobile-tower-network-communication-1352531/

भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो ग‌या है जो दूरसंचार‌ उपकरण (telecom equipment) और network stack स्वयं निर्माण करते हैं।

भारत के विकास प्रवास में एक नया तकनीकी अध्याय शुरू हो रहा है — स्वदेशी 4G। २७ सितंबर के दिन‌ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत संचार निगम लिमिटेड‌ (BSNL) के स्वदेशी 4G stack का उदघाटन किया। इसके साथ ही इस 4G stack पर‌ आधारित लगभग ९७,५०० mobile towers को प्रयोग में लाया गया। इस 4G network को पूरी तरह भारत में ही विकसित किया गया है।

स्वदेशी 4G की विशेषताएँ

  1. यह 4G संजाल पूरी तरह software एवं cloud-आधारित है, जिसे भविष्य में आसानी से 5G में उन्नत‌ किया जा सकता है।
  2. इस तैनाती के तहत २६,७०० गाँवों को जोड़ने की योजना बनाई गई है, जिनमें दूरदराज और सीमांत क्षेत्र शामिल हैं।
  3. यह परियोजना लगभग ₹३७,००० करोड़ की लागत पर तैयार की गई है।
  4. इन towers को सौर ऊर्जा (solar power) से संचालित करने की व्यवस्था है, जिससे यह एक हरित दूरसंचार संजाल (green telecom network) बनता है।

स्वदेशी 4G का राष्ट्रीय‌ महत्व‌

  1. स्वदेशी 4G पहल तकनीकी स्वाधीनता की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह प्रकल्प‌ न केवल टेक्नोलॉजी में विदेशी निर्भरता को कम करती है, बल्कि भारत को एक निर्माता देश‌ के रूप में स्थापित करती है।
  2. भारत अब उस विशिष्ट संघ‌ में शामिल हो गया है जो खुद दूरसंचार‌ स्टैक और उपकरण बनाते हैं। अब तक केवल चीन, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, और डेनमार्क जैसे देश ही ऐसी टेक्नोलॉजी में समर्थ‌ थे।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

रोजगार सृजन

मूल संजाल (core network), RAN उपकरण, software development आदि क्षेत्रों में नई नौकरियाँ पैदा होंगी।

निर्यात संभावना

जैसे ही नेटवर्क सफल होगा, भारत उन देशों को उपकरण निर्यात कर सकता है जो अभी इस तरह के software/cloud-based 4G/5G विकसित नहीं कर पाए।

प्रतिस्पर्धात्मक लाभ

hardware-defined network की तुलना में software/cloud-based कई गुना किफायती है, जिससे भारतीय उपकरण को वैश्विक दूरसंचार बाज़ार (global telecom market) में competitive advantage प्राप्त होगा।

स्थिरता एवं सुरक्षा

विदेशी उपकरणों पर निर्भरता घटने से राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।


डिजिटल समावेश

लाखों नागरिक जो पहले हाई-स्पीड इंटरनेट से वंचित थे, अब उन्हें आधुनिक सेवाएँ मिलेंगी, जैसे दूर चिकित्सा (tele-medicine), ऑनलाइन शिक्षा, इ-कॉमर्स इत्यादि।

चुनौतियाँ और आगे का मार्ग‌

हालाँकि यह पहल दिग्गज है, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं जैसे

  1. तकनीकी अड़चनें
  2. ग्राम स्तर पर रख-रखाव
  3. स‍जाल‌ संचालन
  4. प्रशिक्षण और निगरानी

इन सबका सामना करते हुए इस परियोजना को सफल बनाना होगा। आगे की दिशा में, इस स्वदेशी 4G stack को धीरे-धीरे 5G तक ले जाना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होगा। प्रौद्योगिकी सामंजस्य (technology harmonization), नवोन्मेष (innovation) और सतत निवेश इस मार्ग पर सफलता की कुंजी होंगे।

निष्कर्षतः, स्वदेशी 4G केवल एक नेटवर्क लॉन्च नहीं है — यह भारत की तकनीकी स्वाधीनता, डिजिटल समावेशन, और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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