US Tariff का असर: भारत में निर्यात और रोज़गार पर संकट
२०२५ में भारत से एक्स्पोर्ट किये जानेवाले कपड़े, परिधान, रत्न एवं आभूषण, और समुद्री उत्पादों पर ५०% तक का US Tariff लग गया है। इस कदम भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो २ से ३ लाख नौकरियाँ तुरंत खतरे में आ सकती हैं।
तिरुपुर textile hub पर सबसे बड़ा प्रभाव
तमिलनाडु का तिरुपुर textile उद्योग भारत का सबसे बड़ा knitwear निर्यात केंद्र है। यहाँ लगभग ८ से ९ लाख मजदूर काम करते हैं। लेकिन अमेरिकी टैरिफ की वजह से:
- कई फैक्ट्रियाँ बंद हो चुकी हैं क्योंकि नए पुराने ऑर्डर लगभग रुक चुके हैं।
- लगभग ४०% कर्मचारियों की नौकरियाँ चली गईं हैं और वे वापस अपने अपने गाँव जाने पर मजबूर हो गए हैं।
- तैयार माल गोदामों में फंसा हुआ है, क्योंकि कोई अन्य खरीदार अभी तक सामने नहीं आया है।
- छोटे-मोटे निर्यातक कर्ज़ की चुकौती नहीं कर पा रहे हैं।
अन्य निर्यात उद्योग भी प्रभावित
- रत्न एवं आभूषण उद्योग (Gem & Jewellery) पर गंभीर असर पड़ा है। GJEPC ने सरकार से राहत मांगी है क्योंकि American ग्राहक अब महंगे हुए भारतीय हीरे नहीं खरीद रहे।
- समुद्री खाद्य निर्यात (Seafood Export) पर भी लागत बढ़ने का खतरा है।
- Auto components और Chemicals जैसे sectors में भी मंदी देखी जा रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया
- सरकार ने निर्यातकर्ताओं के लिए Relief Package और Tax Rebates देने की बात कही है।
- भारत सरकार द्वारा संचालित EXIM Bank ने प्रभावित निर्यातकों को विशेष क्रेडिट सुविधा देने का ऐलान किया है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि केवल वित्तीय सहायता काफी नहीं होगी। भारत को अपने निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण (Diversification) करना होगा और घरेलू मांग को मजबूत करना होगा। इसी संदर्भ में हाल ही के GST घटौती से उम्मीद है कि घरेलू उपभोग बढ़ेगा।
भविष्य और समाधान
यूएस टैरिफ के लंबे समय तक लागू रहना, भारत के निर्यात-आधारित उद्योगों के लिए हानिकारक होगा। तिरुपुर textile hub, रत्न-आभूषण उद्योग, और समुद्री खाद्य निर्यात सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे।
समय रहते रणनीतिक कदम उठाने से ही भारत लाखों नौकरियों को बचा सकता है, वरना कई दशकों का अर्थिक विकास नष्ट हो जाएगा।
- भारत - UK, भारत - EU, भारत - EFTA जैसे मुक्त व्यापार समझौते (free trade agreements) इस दिशा में एक साबुत रणनीति है।
- इसी प्रकार GST घटौती से भी घरेलू उपभोग बढ़ाने का एक कदम है।
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