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IMF Special Drawing Rights: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान

Hands shaking on a background of US dollars

Image Source : https://pixabay.com/illustrations/dollar-hands-shake-panama-papers-1319601/

विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights) क्या हैं और IMF में उनका महत्व क्या है? इस लेख में पढ़िये भारत–IMF संबंध, भारत की SDR होल्डिंग, और SDRs के भारत की विदेशी मुद्रा संपत्तियों में योगदान।

भारत ने स्वतंत्रता के बाद से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं, जैसे विश्वबैंक (World Bank), आशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष   (International Monetary Fund — IMF) के साथ बदलते संबंध रहे हैं। इस संदर्भ में विदेशी मुद्रा प्रबंधन और जागतिक व्यापार के लिए विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights — SDR) एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस लेख में हम SDR की अवधारणा, भारत-IMF संबंध और भारत की विदेशी मुद्रा संपत्तियों में SDRs की भूमिका को समझेंगे।

SDR क्या है?

विशेष आहरण अधिकार, IMF द्वारा 1969 में एक अंतरराष्ट्रीय रिज़र्व परिसंपत्ति (international reserve asset) के रूप में स्थापित किया गया था, ताकि सदस्य देशों की पारंपरिक विदेशी रिज़र्व साधनों जैसे gold, विदेशी मुद्रा की पूरक व्यवस्था हो सके।

  • SDR एक मुद्रा नहीं है; बल्कि यह सदस्य देशों को “स्वतंत्र उपयोग योग्य” मुद्राओं से अदला-बदली का दावा (exchange claims) की अनुमाति देता है।
  • SDR बिना ऋण लिए तरलता (liquidity) प्रदान करता है — सदस्य‌ देश इसे दूसरे सदस्यों से मुद्रा प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
  • SDR का मूल्य पाँच मुद्राओं (USD, Euro, Renminbi, Yen, Pound Sterling) के एक बास्केट के आधार पर रोज़ाना निर्धारित होता है।
  • SDR पर ब्याज दर (interest rate) भी होती है, और जब सदस्य देशों के बीच लेन-देने में SDR उपयोग होता है, तो यह ब्याज दर लागू होती है।

भारत और IMF का संबंध — स्वतंत्रता के पश्चात‌

भारत IMF का सदस्य 27 दिसंबर 1945 को बना (स्वतंत्रता के पूर्व‌)। तब से भारत ने समय-समय पर IMF से वित्तीय सहयोग (loan / adjustment programmes) लिया है, विशेषतः 1960s–70s के दशकों में, जब भारत तीन युद्ध और अकसर‌ अकाल पड़ने के दौर से गुज़र रहा था। लेकिन 1991-1993 के उदारीकरण और वित्तीय सुधार (liberalisation and financial reforms) के बाद आज तक‌ भारत ने IMF से नया अस्थायी ऋण नहीं लिया और 2000 तक सभी शेष ऋण ब्याज सहित चुका दिए

तब से, भारत IMF का गृहीता नहीं, बल्कि अंशदाता है, और 1993 से भारत की मतदान शक्ति (voting power) बढ़ती गई है। आज IMF में भारत का मतदान हिस्सा 2.63% है, और उसका SDR quota है 2.75%, जिससे हमारा देश‌ आठवे स्थान पर आता है। इस कोटा के अनुसार‌ भारत IMF के लेनदेन निर्णयों और SDR आवंटन में हिस्सा रखता है। 

रैंक

देश

SDR कोटा (लाख‌)

मतांश (%)

1United States (संयुक्त राज्य)8,299.4217.42
2Japan (जापान)3,082.056.47
3China (चीन)3,048.296.40
4Germany (जर्मनी)2,663.445.59
5France (फ्रांस)2,015.514.23
5*United Kingdom (यूनाइटेड किंगडम)2,015.514.23
7Italy (इटली)1,507.003.16
8India (भारत)1,311.442.75
9Russia (रूस)1,290.372.71
10Canada (कनाडा)1,102.392.31

स्रोत: https://www.imf.org/en/About/executive-board/members-quotas

SDRs और भारत की विदेशी मुद्रा संपत्तियाँ (Foreign Exchange Reserves)

भारत सरकार के अनुसार, हमारे देश‌ के विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में विभिन्न घटक शामिल हैं, जैसे विदेशी मुद्रा संपत्तियाँ (Foreign Currency Assets — FCA), स्वर्ण, SDRs, तथा IMF में भारत की Reserve Tranche Position।  भारत की SDR quota 1,311.44 लाख है, जिस्का मूल्य‌ जो लगभग USD 1,882.22 लाख है। SDRs को विदेशी मुद्रा भंडार में एक हिस्सा माना जाता है; इस‌ राशि का उपयोग भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में स्थिरता और तरलता (stability and liquidity) बनाए रखने में किया जाता है। भारत सरकार की ओर से RBI को इन‌ SDRs को US डॉलर या अन्य बास्केट मुद्रा में बदलने का अधिकार है, जब उसे ज़रूरत पड़े।

SDR का महत्व और चुनौतियाँ

IMF ने 2021 में ~ SDR 456 billion की ऐतिहासिक सामान्य आवंटन की थी, जिससे सदस्य देशों के SDR में बदलाव आए, और भारत और चीन‌ जैसे उभरते देशों का मतदान हिस्सा और SDR quota बढ़ा। इससे की आरक्षित स्थिति (reserve positions) को सुदृढ़ करने में मदद मिली। 

हालांकि, SDR आवंटन में बड़ी चुनौतियाँ हैं — पुनरावंटन (rechanneling) व्यवस्था, विकार (inequities) और पश्चिमी देशों को अधिक लाभ एवं प्रतिनिधित्व मिलता है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था आज 2021 के मुकाबले चौथी सबसे बड़ी है, और 2028 में जर्मनी से आगे निकल जाएगी। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने यह‌ प्रस्ताव रखा है कि SDR आवंटन सालाना बना दिया जाए ताकि वैश्विक तरलता संतुलन बेहतर हो। 

निष्कर्ष

विशेष आहरण अधिकार (SDR) IMF द्वारा सदस्य देशों को पूरक विदेशी मुद्रा संसाधन (supplemental foreign exchange resources) देने का एक अनूठा और गैर-ऋणात्मक (non-debt) माध्यम है, हलांकि यह ब्याज-मुक्त नहीं है। भारत, IMF में एक महत्वपूर्ण सदस्य होने के नाते, SDR आवंटन और योगदान से आर्थिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता में सक्रिय भूमिका निभाता है। भविष्य‌ में SDR पुनरावंटन और मतदान हिस्से में पुनर्विभाजन होने पर भारत का रुतबा बढ़ेगा और विदेशी मुद्रा प्रबंधन में अधिक‌ लाभ मिलेगा।

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