Trading Settlement कैसे काम करता है?
Indian stock exchanges में पहले व्यापार निपटान में एक ऐसी प्रक्रिया शामिल होती थी, जहां किसी listed company की खरीदी गई प्रतिभूतियों को खरीदार तक पहुंचाया जाता था, और विक्रेता को पैसा प्राप्त होता था। इस निपटान में लेन-देन निष्पादित होने के बाद दो working days लगते थे, जिसे आमतौर पर T+2 निपटान कहा जाता है।
टी+1 (trade plus one) निपटान चक्र के लिए बाजार व्यापार-संबंधित निपटानों को वास्तविक लेनदेन होने के एक दिन के भीतर साफ़ करने की आवश्यकता होती है। इस प्रणाली को इस साल 27 जनवरी को top-listed firms के लिए लागू किया गया था, जिससे भारत चीन के बाद T+1 प्रणाली को अपनाने वाला दूसरा बाजार बन गया। अक्टूबर से शुरू होकर, सभी शेयर T+1 निपटान चक्र का पालन करेंगे।
IE report के अनुसार, इस छोटी निपटान समयसीमा को अपनाने से परिचालन दक्षता, तेज फंड प्रेषण, त्वरित शेयर delivery और शेयर बाजार सहभागियों के लिए समग्र आसानी लाने का अनुमान है। इस कदम से व्यापारिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, तरलता बढ़ाने और बाजार सहभागियों को अधिक सहज और त्वरित trading experience प्रदान करने की उम्मीद है।
T+0 या तात्कालिक निपटान (Instantaneous Settlement)
Reports के अनुसार, Chairperson Madhabi Puri Buch ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक अगले वित्तीय वर्ष (FY25) तक stock exchanges पर trades के तत्काल निपटान की शुरुआत करने का लक्ष्य बना रहा है। प्रस्तावित T+0 निपटान चक्र का उद्देश्य निवेशकों को शेयर बेचने और उनके खातों में तुरंत पैसा प्राप्त करने में सक्षम बनाना है। इसके साथ ही, खरीदारों को व्यापार के उसी दिन उनके डीमैट खाते में शेयर प्राप्त होंगे।
Business Standard की report के अनुसार, टी+0 निपटान के कार्यान्वयन से व्यापारियों और निवेशकों के लिए तरलता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे overall trading volumes में वृद्धि होगी। Fisdom के अनुसंधान प्रमुख नीरव करकेरा ने उल्लेख किया कि तत्काल निपटान की शुरूआत से नकदी खंड पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। Instant settlement के साथ, निवेश बिना किसी देरी के stocks में स्थानांतरित हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप trading volumes में अपेक्षित वृद्धि होगी!