भारत में म्यूचुअल फंड का नियामक(Regulator)
भारत में Mutual Funds के लिए शासी निकाय भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) है, जो निवेशकों की सुरक्षा करता है और mutual Funds और व्यापक stock market दोनों के कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखता है। SEBI की प्राथमिक जिम्मेदारी निवेशकों की सुरक्षा की गारंटी देना है।
भारत में mutual funds को कौन नियंत्रित करता है?
Mutual Funds की देखरेख करने वाला भारत का प्रमुख नियामक प्राधिकरण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है। SEBI को mutual funds के सभी पहलुओं की देखरेख करने का काम सौंपा गया है, जिसमें उनकी स्थापना, कामकाज, प्रबंधन, संबंधित संचालन, शुल्क संरचना और प्रदर्शन मूल्यांकन शामिल हैं।
भारत में mutual funds के विनियमन को नियंत्रित करने वाले guidelines भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Mutual Funds) नियम 1996 में उल्लिखित हैं। ये नियम बाजार landscape के भीतर गतिशील बदलाव और निवेशक की उभरती जरूरतों के साथ संरेखित करने के लिए लगातार मूल्यांकन और अद्यतन से गुजरते हैं।
SEBI द्वारा Mutual Funds का विनियमन
SEBI के पास भारत में mutual fund क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली नीतियां बनाने की जिम्मेदारी है। ये नीतियां एक व्यापक नियामक संरचना को शामिल करती हैं, जिसमें mutual fund की स्थापना, संचालन, प्रबंधन और प्रदर्शन को नियंत्रित करने वाले नियम और निर्देश शामिल हैं। केंद्रीय उद्देश्य mutual fund निवेशकों के कल्याण की रक्षा करना और एक transparent परिचालन वातावरण सुनिश्चित करना है, जिससे वे अच्छी तरह से सूचित विकल्प चुन सकें।
SEBI का नियामक ढांचा mutual funds से संबंधित विभिन्न पहलुओं से व्यापक रूप से निपटता है। इसमें फंड वितरण और ग्राहकों की शिकायतों का समाधान, निवेश लक्ष्य और strategies, प्रकटीकरण मानदंड, परिसंपत्ति मूल्यांकन और asset valuation फर्मों (एएमसी) का चयन जैसे मामले शामिल हैं।