Inflation / मंहगाई हर साल बदलती रहती है।अगर देखा जाए तो जो चीज़े आज जो चीज़ ₹50-60 की मिलती है वो 20 साल पहले ₹20-30 की मिलती थी। जैसे हमारी salary समय के साथ बढ़ती जा रही है वैसे ही मंहगाई भी। महीने के खर्चे को control करना आसान काम नहीं है, especially जब आप के पास limited बजट हो। यह अचानक से महँगाई का बढ़ना कई लोगों के लिए financial distress का कारण बनता है।
पहले जब हम एक निश्चित salary से घर का बजट बना लेते थे परन्तु अब यह संभव नहीं है। पहले जो सब्ज़ियां हम ₹50 में खरीदते थे अब वही सब्ज़ियां ₹100 में मिलती है। इस कारण हमें अपनी savings का कुछ हिस्सा external needs में लगाना पड़ता है। एक समय था जब मूवी देखने हम हाल में जाते थे टिकट मात्र ₹50 -100 का होता था। और आज हम वही मूवी देखने मॉल में जाते है और यहा का टिकट ₹350 से शुरू होता है।
अगर पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए तो education fees में भी बहुत अंतर आ गया है। आज की fees 1 लाख से शुरू हो रही है। जो पहले के मुकाबले 50% अधिक है।
उन खर्चो को ज्यादा priority दे जो आप के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए बजट बनाते समय यह ध्यान रखे कि आपके और आपके परिवार के लिए सबसे जरूरी क्या है। जरूरी कामो और चीज़ों को importance दे।
अपने लक्ष्य पर ध्यान दे कि कही आप उससे भटक न जाए। एक बार में एक ही लक्ष्य पर focus करे। Long term goals को ले कर सुनिश्ति रहे। यह ध्यान दे कि long term में आपको किन चीज़ों की need है जिसे आप अपने बजट में जोड़ सकते है।
Investment एक ऐसी चीज़ है जो जिससे जरूरत पड़ने पर आप इस्तेमाल कर सके। ध्यान दे जब आप investment कर रहे है तो उस scheme में पैसा लगाए जहाँ return ज्यादा हो।
जरूरी नहीं आप हर वक़्त purchasing करते रहे। कुछ चीज़ें ऐसी होती है जो दुबारा इस्तेमाल की जा सकती है, उनकी जगह नाइ चीज़े purchase करने की जरूरत नहीं है।