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Asset Tokenization क्या है? – लाभ, हानि, और भारत में सरकारी योजनाएँ

AI generated image of tokenized real world assets

Image Source : AI-generated

इस लेख में जानिए tokenization क्या है और यह पारंपरिक वित्त से कैसे अलग है। साथ ही में जानिए इसके फायदे-नुकसान, और भारत की केंद्र व राज्य सरकारों की पहलें।

परिसंपत्ति टोकनीकरण‌ (Asset Tokenization) का अर्थ है किसी वास्तविक (Real-world) संपत्ति — जैसे real estate, bonds, land, gold आदि — को blockchain आधारित digital token में बदलना, ताकि उसे online और विभाजित (distributed) रूप से रखा, खरीदा, बेचा व हस्तांतरित किया जा सके। भारत में यह अवधारणा (concept) हाल ही में अधिक चर्चा में आई है। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य स्तर पर asset tokenization की रूपरेखा (framework) की घोषणा की है, जिसका दृश्यमान लक्ष्य है लगभग ₹50 लाख करोड़ की “निष्क्रिय पूंजी” को सक्रिय करना।

चलिये विस्तार से समझते हैं भारत में सरकारों की योजनाओं के नज़रिये से इसकी खूबियाँ और चुनौतियाँ

टोकनाइज़ेशन के मुख्य फायदे

द्रविता (Liquidity) में वृद्धि

बड़ी संपत्तियों को टोकन में विभाजित कर निवेश करना आसान होता है।

न्यूनतम निवेश प्रवेश (Low Entry Barrier)

छोटे निवेशक भी हिस्सेदारी में खरीद सकते हैं।

त्वरित और स्वचालित (automatic) लेन-देन

Smart contract के कारण वैयक्तिक मध्यस्थों (manual intermediaries) की आवश्यकता कम।

पारदर्शिता एवं audit trail

Blockchain पर लेनदेन अपरिवर्तनीय (irreversible) और अनुमार्गणीय (traceable)।

वैश्विक अभिगम‌ (global access)

offshore निवेशकों को भी भागीदारी का मौका।

टोकनाइज़ेशन की मुख्य चुनौतियाँ

कानूनी अनिश्चितता (Legal Uncertainty)

टोकन और मूल संपत्ति के बीच में वैधानिक बंधन सशक्त‌ करना आवश्यक है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा उपयुक्त कानून पारित करना ज़रूरी है।

तकनीकी निर्भरता (technological dependence)

  1. On-chain लेनदेन व off-chain लेनदेन के सुरक्षित linking की समस्याएँ हैं, जो सभी ब्लॉकचेन आधारित समाधानों के साथ एक निरंतर समस्या है।
  2. तकनीकी संप्रभुता (technological sovereignty) के लिए आवश्यक है कि नेटवर्क के सभी बिंदु भारतीय स्वामित्व में, भारतीय hosting में, और भारतीय संचालन में हों।

Cybersecurity risks

  1. निवेशकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ
  2. Cyberfraud और अन्य धोखाधड़ी जोखिम

Technological immaturity

Scaling, platform interoperability, और मानकों (standards) की कमी

तुलना: टोकनाइज़ेशन बनाम पारंपरिक वित्त

पहलू

टोकनाइज़ेशन (डिजिटल)

पारंपरिक वित्त (Traditional)

द्रविताअधिक, क्योंकि टोकन विभाज्य हैंसीमित, क्योंकि इकाइयाँ बड़ी हैं
उपयोगकर्ता प्रवेशछोटे निवेश संभवसामान्यतः बड़े न्यूनम निवेश मानक
लेन-देन समय व लागतत्वरित, कम मध्यस्थ (intermediary) खर्चअधिक मध्यस्थ खर्च व समय सर्वाधिक
पारदर्शितासभी ब्लॉकचेन लेनदेन अनुमार्गणीय और अपरिवर्तनीय हैं, जिससे धोखाधड़ी के संभावनाएँ कम हैंलेन-देन व्यक्तिगत लेखा-जोखा और आपसी विश्वास पर निर्भर होते हैं
नियामक सुरक्षाअभी विकासाधीनस्थापित नियम, पर पारंपरिक जोखिम
वैश्विक भागीदारीअंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए उपलब्धcross-border बाधाएँ अधिक

किनका फ़ायदा होगा?

  1. प्रौद्योगिकी platforms और blockchain सेवाओं के व्यवसाय में लगे लोग बड़े लाभार्थी होंगे
  2. पूँजी की ज़रूरत वाले real estate developers टोकनीकरण के ज़रिए बाज़ार से धन जुटा पाएँगे
  3. छोटे निवेशक पूरे अपार्टमेंट या भूखंड के लिए बड़ी क़ीमत चुकाने के बजाय, distributed tokens का उपयोग करके अपार्टमेंट या भूखंड के छोटे-छोटे टुकड़ों में निवेश कर सकते हैं।
  4. सरकार और राज्य प्राधिकरण बिक्री और करों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने का लक्ष्य रख सकते हैं।

संभावित चुनौतियाँ

  1. भूमि दलालों और depository agencies जैसे पारंपरिक मध्यस्थों को नुकसान होगा, और कुछ सरकारी विभागों को या तो अनुकूलन करना होगा या बंद होना होगा।
    2. टोकनीकरण जटिल पारंपरिक वित्तीय संरचनाओं और धीमी गति से चलने वाले बैंकों की जगह ले लेगा, लेकिन इसके साथ नई चुनौतियाँ भी आएंगी।
    3. ग्राहक शिक्षा का अभाव और cyber fraud में वृद्धि इसे अपनाने के उत्साह को कम कर सकती है।
    4. स्पष्ट कानून के न होने से नियामक विवाद और मुकदमेबाज़ी को बढ़ावा मिलेगा।

भारत में केंद्रीय और राज्य सरकारों की योजनाएँ एवं लक्ष्य

इन पहलों के उद्देश्य हैं

  1. निष्क्रिय पूंजी को फिर से सक्रिय करना
  2. निवेश अवसरों का विस्तार
  3. राजकीय राजस्व और कर आधार बढ़ाना
  4. भारत को blockchain/fintech नवाचार में नेतृत्व देना

सरकार / संस्था

योजना / पहल

उद्देश्य

महाराष्ट्र सरकारAsset Tokenization Frameworkलगभग ₹50 लाख करोड़ निष्क्रिय पूंजी को सक्रिय करना, महाराष्ट्र को “पहला टोकनीकृत‌ राज्य” बनाना
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)Unified Markets Interface (UMI)वित्तीय परिसंपत्तियों को टोकनीकृत‌ करना और wholesale Central Bank Digital Curency पर निपटान करना
International Financial Services Centre / GIFT CityDigital Asset Tokenization FrameworkIFSC क्षेत्र में नियंत्रित digital asset नियम पेश करना
तेलंगाना सरकारआंतरिक मार्गदर्शिका (Interim Guidance Note)राज्य स्तर पर tokenization model को सुसंगत बनाना

निष्कर्ष

परिसंपत्ति tokenization वित्तीय जगत में एक नई क्रांति हो सकती है — लेकिन सफलता इसके नियामक, तकनीकी, और कानूनी अधोसंरचना (infrastructure) पर निर्भर करेगी। भारत में राज्य एवं केंद्र सरकारों की पहलें इस दिशा में प्रारंभिक कदम हैं। यदि समय रहते सही मार्गदर्शन मिले, तो विजेता वे हों सकते हैं जिन्होंने नवाचार को अपनाया; और पराजित वे हो सकते हैं जो पारंपरिक मॉडल पर जमे रहने का प्रयास करेंगे।

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