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Know Your Customer: तेज़ी से बढ़ता हुआ डिजिटल उद्योग‌

cartoon of a person verifying documents

Image Source : https://pixabay.com/illustrations/audit-report-verification-magnifier-4576720/

जानते हैं कि तीसरी पीढ़ी के KYC के लिए क्या नए technologies बाज़ार में आए हैं और उनका ग्राहकों के पहचान और सूचना सुरक्षा पर‌ भविष्य में क्या प्रभाव होगा।

Digital लेन-देन और online सेवाओं के बढ़ते उपयोग ने e-KYC (Know Your Customer) को banking क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। इसका कारण है कि online धोखाधड़ी पर निग्रानी रखी जा सके और सच्चे ग्राहकों को प्रतिरूपण धोखाधड़ी (impersonation fraud) से सुरक्षित रखा जाए। इन दिनों, बैंकिंग ही नहीं बल्कि अन्य वित्तीय लेनदेन में भी SEBI, RBI, IRDAI, और PFRDA द्वारा दिए गए अधिदेश (mandates) के कारण, e-KYC व्यावसायिक आवश्यकता (business necessity) बन गई है।

KYC की पूर्व‌ पीढ़ियाँ

पहली पीढ़ी जो दो दशक पहले लागू हुई, उसमें दस्तावेज़ के ज़ेरोक्स प्रतियाँ जमा करनी पड़ती थी, फिर बैंक कर्मचारी उनका व्यक्तिगत सत्यापन (manual verification) करते थे। इसमें समय लग‌ता था, और ग्राहकों को बैंक तक जाना पड़ता था। परंतु, इसमें से धोखाधड़ी की बड़ी संभावना होती थी, जिस कारण दूसरी पीढ़ी में इलेक्ट्रॉनिक KYC की प्रथा शुरू हुई।

दूसरी पीढ़ी के e-KYC में ऐसे कुछ साधन अपनाए गए — 

  • स्वचालित दस्तावेज़ OCR (automated document OCR)
  • चेहरा मिलाना (face-matching)
  • लाइव वीडियो (live video) KYC 

इससे एक-चरणीय ई-सत्यापन (one-step e-verification) सरल तरीके से, किसी भी जगह से, और कम समय में सुरक्षा से हो जाने लगा।

e-KYC की तीसरी पीढ़ी

हालिया रिपोर्टों का कहना है कि वैश्विक और भारतीय e-KYC बाज़ार में तेज़ी से वृद्धि हो रही हैं2024 में e-KYC बाज़ार का मूल्य लगभग ₹233 करोड़ था, जो 2033 तक पाँच गुना होकर तकरीबन ₹1235 करोड़ हो जाएगा। वीडियो-KYC और रिकॉर्डेड इंटरैक्शंस (recorded interaction) ने दूरस्थ ज्ञानप्राप्ति (remote onboarding) को आसान और अधिक अनुपालनीय (compliant) बना दिया है — और RBI जैसी नियामक संस्थाएँ इन प्रक्रियाओं के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी कर रहीं हैं।

कंपनियाँ तरह तरह की प्रविधियाँ (techniques) अपना रहीं हैं।

बायोमेट्रिक मिलान

Biometric matching में ग्राहक के दस्तावेज़ के बाजाय, उनके उंगलियों के निशान या आईरिस पैटर्न (iris pattern) का स्त्यापन होता है। यही आधार पर आधारित सत्यापन (Aadhar-based verification) का माध्यम है।

जीवंतता का पता

इसमें वीडियो KYC के दौरान ग्राहक के जीवंतता का पता लगाने (liveness detection) के साधन जुड़े हुए हैं, ताकि स्पूफिंग रोका जा सके। यह ऐसा fraud है जिसमें scamster आपके पुराने चित्र या वीडियो का इस्तेमाल करके आपके बैंक से आपके खाते के डीटेल्ज़ धोखे से मालूम कर सकते हैं।

AI-ड्रिवन फ्रॉड स्कोरिंग

आजकल जाली दस्तावेज़ बनाने की तकनीकें इतनी विकसित हो गईं हैं कि बैंक कर्मचारी उन्हें पकड़ नहीं पाते। लेकिन AI-based computer vision के माध्यम से असली और जाली दस्तावेज़ के बीच सूक्ष्म अंतर (minuscule differences) का पता लगाया जाता है।

बहुवाहिनी सत्यापन (multi channel verification)

उपरोक्त चैनलों में से किन्हीं दो (या यहां उल्लिखित नहीं की गई अन्य विधियों) का संयोजन (combination) में उपयोग किया जाता है।

आज की परिदृश्य

नियमों की कसावट (tightening of rules) भी इस उद्योग की माँग बढ़ाती है। RBI की KYC Master Directions और हाल की वीडियो-KYC/खाता-सक्रियकरण (account activation) संबंधी घोषणाएँ यह संकेत देती हैं कि बैंक और fintech-खाताधारकों (account holders) को अधिक सुरक्षित और ऑडिट के लिए तैयार‌ प्रक्रियाएँ (audit-ready processes) अपनानी होंगी। इससे अनुपालन-केंद्रित (compliance-focussed) KYC समाधान की ज़‌रुरत और बढ़ेगी।

भारत में कई स्टार्टअप और वैश्विक प्रदाता इस क्षेत्र में सक्रिय हैं — Signzy, IDfy, HyperVerge, Karza, Digio आदि — जो दस्तावेज़ सत्यापन (document verification), autograded OCR, face match और fraud-risk tools मुहैया कराते हैं। इन कंपनियों की सेवाएँ बैंक, बीमा, payment gateway और business onboarding टीमों के लिए अनिवार्य होती जा रही हैं।

सूचना गोपनीयता चिंताएँ

ग्राहकों की सूचना गोपनीयता (data privacy) और पहचान-सुरक्षा (identity protection) पर सवाल भी उठ रहे हैं — इसलिए कंपनियों के लिए ज़िम्मेदार सूचना संधारण (responsible data handling) और RBI/UIDAI नियमों का पालन अनिवार्य है। ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं ऐसी प्रथाएँ जैसे

  • ग्राहक पक्ष स्पष्ट सूचना (customer-side clear data)
  • न्यूनतम सूचना संग्रह (minimum data collection)
  • सूचना कूटलेखन (data encryption)

निष्कर्ष

भारत का e-KYC-इकोसिस्टम वृद्धि की अवस्था (growth mode) में है — technology, नियमन (regulations) और business demand मिलकर इस क्षेत्र को और विकसित‌ करेंगे। जो समाधान दृढ़ सुरक्षा, तेज़ ऑनबोर्डिंग और नियमों के अनुरूप होंगें, उनकी बाज़ार में तेज़ वृद्धि होते दिखेगी। जल्द ही ग्राहकों को नए, सुरक्षित‌ और आसान e-KYC के साधन प्राप्त होने शुरू होने लगेंगे।

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